Saturday, 11 August 2012

एहसास


आसमान में फैले हुए
बादलों के टुकड़े,
गीत गा रहें होंगे
अपने मिलन के,
प्रेम नीर बहाएंगे,
प्यासों की प्यास
बुझाने के लिए
खुश होंगे किसान,
चहकेगें आज
पक्षियों के झुरमुट,
गीत गांएगें मिलकर
करेंगे
वर्षा का अभिनन्दन,
और
आज का दिन ही
वह दिन भी होगा
जब,
खुले नील आकाश के नीचे,
रहने वाले
असहायों को,
अहसास होगा
अपने बेघर होने का!

                                                                                      - उर्वशी उपाध्याय

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